अब जबकि चुनाव की तारीख़ों का ऐलान हो चुका है, वहाँ जाति की भूमिका पर फिर बहस होगी. मगर इसकी चर्चा से पहले ज़रूरी है तारीख़ के कुछ पन्ने पलटना. बिहार वो राज्य है जहां आज़ादी से पहले जनेऊ आंदोलन हुआ. यादवों और कुछ अन्य ग़ैर-ब्राह्मण पिछड़ी जातियों ने जनेऊ पहनना शुरू किया. ये वो बिहार भी है, जहां जेपी आंदोलन के वक़्त संपूर्ण क्रांति के लिए हज़ारों लोगों ने पटना के गांधी मैदान में जनेऊ तोड़े. बिहार में राजनीतिक परिवर्तन के साथ सामाजिक परिवर्तन होता रहा, या यूं कहें कि सामाजिक परिवर्तन के साथ राजनीतिक बदलाव होता रहा. इन बदलावों की सबसे बड़ी कुंजी थी- जाति. देखिए यह रिपोर्ट.